भोपाल, ग्वालियर। चंबल के बढ़ते बीहड़ों को उपजाऊ जमीन में बदलने का काम राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक करेंगे। इसके लिए एक प्रोजेक्ट के तहत विश्वविद्यालय को सघन बीहड़ में 120 हेक्टेयर जमीन दी गई है। इस जमीन में प्रयोग करके ऐसा काम किया जाएगा, जिससे बीहड़ की जमीन पूरे साल हरी बनी रहे।
चंबल अंचल में बीहड़ लाखों हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हुए हैं और इससे जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म हो रही है। बढ़ते बीहड़ चंबल अंचल के गांवों की खेती वाली जमीन नष्ट करते जा रहे हैं। जब ग्वालियर में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना हुई तो सबसे पहले इन्हीं बीहड़ों के कारण बंजर होती जमीन पर ध्यान गया। इसलिए विश्वविद्यालय ने एक प्रोजेक्ट बनाया, जिसे मुरैना के कलेक्टर ने मंजूरी दे दी। इस प्रोजेक्ट के तहत अंबाह व दिमनी इलाके में 120 हेक्टेयर जमीन कृषि विश्वविद्यालय को दी गई है। इस काम के लिए कृषि अनुसंधान परिषद ने भी तीन करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। यह वो इलाका है, जहां पर सबसे ज्यादा गंभीर समस्या बीहड़ों की है और ये बीहड़ पहले खेत और अब गांव के मकान नष्ट करने पर तुले हुए हैं। इस बारे में विश्वविद्यालय के मृदा वैज्ञानिक डा. एसके वर्मा के मुताबिक एक वर्ष में दस हेक्टेयर जमीन को उपजाऊ बनाना है। यदि यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो चंबल के बीहड़ों को बढ़ने तथा जमीन को बंजर होने से रोका जा सकेगा।
दस हेक्टेयर की इस जमीन की जांच करके इसमें मौसम के मुताबिक फसल, फल, चारा तथा औषधीय पौधे लगाए जाएंगे। इससे यह मालूम हो जाएगा कि बीहड़ की जमीन पर किस किस्म की वनस्पति लगाई जा सकती है। इसी प्रकार बीहड़ों में भूमि का कटाव बहुत होता है, जिसे रोकने के लिए फलों के पौधे लगाए जाएंगे। पानी के लिए ड्रिप सिस्टम का उपयोग होगा। इससे बीहड़ों की जमीन वर्ष भर हरी नजर आएगी।
, जागरण