खरपतवार से हर महीने 3 से 4 हजार रुपए की आय

भोपाल। वन संपदा के लिए खतरनाक खरपतवार अब मप्र के कई जिलों में चारकोल (कोयला) बनाने के काम आ रहा है। आदिवासी बहुत क्षेत्रों में यह बीपीएल परिवारों के लिए तीन से चार हजार रुपए प्रतिमाह की कमाई का जरिया बना है। लेंटाना नाम के इस खरपतवार की गिनती दुनिया के सौ सबसे खतरनाक खरपतवारों में होती है।

प्रदेश के विंध्य, महाकौशल अंचल सहित भोपाल संभाग के जिलों के वनों में इसका खासा प्रकोप है। हर साल वन विभाग इसके अन्मूलन के लिए करोड़ों रुपए खर्च करता है। लेकिन अब निजी क्षेत्रों का एक संगठन सहयोग माइक्रो मैनेजमेंट वन विभाग और डीपीआईपी (जिला गरीबी उन्मूलन परियोजना) के साथ मिलकर इस खरपतवार से चारकोल बनाने के काम में लगा है। क्या है योजनाः इसके तहत बीपीएल परिवारों के सदस्यों के समूह बनाकर उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है। बना हुआ चारकोल संस्था सहयोग द्वारा छह रुपए प्रति किलो की दर से खरीद भी लिया जाता है। इस तरह समूह के हर सदस्य को प्रतिदिन 150 रुपए तक की आय हो सकती है। ऐस बनता है चारकोलः लेंटाना जंगली लता जैसी होती है। इसकी लकड़ी एक से डेढ़ अंच की मोटाई लिए होती है। इसकी लकड़ी को सुखाने के बाद विशेष प्रकार की भट्टी में सुलगाया जाता है। इससे यह चारकोल में बदल जाती है। फिर इसे विशेष बाॅक्सों की मदद से चैकोर कोयले में बदल दिया जाता है। वर्तमान में यह योजना चार जिलों पन्ना, विदिशा, रायसेन और नरसिंगपुर में संचालित है।

साभारः दैनिक भास्कर

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