दरभंगा (बिहार)। दरभंगा के बाढ़ प्रभावित इलाके से मुश्किल परिस्थितियों में एक छोटे से गांव से निकलकर महत्वाकांक्षी हल्के युद्धक विमान एलसीए परियोजना को साकार करने वाले वैज्ञानिक अब बिहार में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने की मुहिम चला रहे हैं। घनश्यामपुर प्रखंड में छोटे से गांव भोअर में जन्मे भारत सरकार के पूर्व वैज्ञानिक एमबी वर्मा को न सिर्फ पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा सराहा गया हैं, बल्कि वह मोबाइल विज्ञान प्रयोगशालाओं :एमएसएल: को बिहार में लोकप्रिय बनाकर बच्चों और शिक्षकों के आंखों के तारे बन चुके हैं। बच्चे खेल खेल में विज्ञान को समझने लगे हैं।
वैज्ञानिकों और कुछ बुद्धिजीवियों की संस्था ‘विकसित भारत फाउंडेशन’ की बिहार में नींव डालने वाले वर्मा मोबाइल विज्ञान प्रयोगशालाओं की संख्या अगले वर्ष बढ़ाकर तीन से 10 करना चाहते हैं। अप्रैल जुलाई 2010 में फाउंडेशन ने एमएसएल का कार्यक्रम बाढ प्रभावित कोसी कमला बलान क्षेत्र में शुरू किया। बाढ प्रभावित सुपौल, दरभंगा, मधुबनी में यह प्रयोगशाला 54 हजार विद्यार्थियों के बीच विज्ञान को लोकप्रिय बना चुकी है। यही नहीं 758 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है और 2100 गांवों का दौरा हो चुका है। लाइट कांबेट एयरक्राफ्ट :एलसीए: परियोजना के सुपरसोनिक विमान ‘तेजस’ को सफलतापूर्वक तैयार करने में प्रोजेक्ट डायरेक्टर :जनरल सिस्टम: के पद पर कार्य कर चुके 69 वर्षीय वर्मा कहते हैं, ‘‘बिहार प्रतिभाओं की धरती है। विज्ञान के प्रति बच्चों में रुचि जगाना है। स्कूलों में बुनियादी संरचना के अभाव में यह एक चुनौती भरा काम है। लेकिन ईमानदार प्रयास हो तो यह सफल होगा।’’ वर्मा कहते हैं कि कलाम साहब की प्रेरणा साथ हैं। बिहार विज्ञान के क्षेत्र में अच्छा करेगा। जल्द इस अभियान को पूरे प्रदेश में चलाया जाएगा। एमएसएल की टीम का विस्तार किया जाएगा। ‘अगस्त्य फाउंडेशन’ और ‘विकसित भारत’ द्वारा बिहार में मोबाइल प्रयोगशालाओं के कार्यक्रम के कारण बच्चों में विज्ञान के प्रति जागरुकता बढने लगी है। एमएसएल ने जिन जिन स्कूलों का दौरा किया वहां बच्चों की उपस्थिति में कई गुणा बढोतरी हुई है। वर्मा कहते हैं, ‘‘हमारा लक्ष्य एक स्कूल में छह से सात बार जाना होता है। अभी हम एक एक स्कूल में तीन चार बार जा चुके हैं। शुरुआती रुझान बताते हैं कि विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति जागरुकता और इस विषय के प्रति नजरिए में परिवर्तन हुआ है। उनमें प्रश्नों को पूछने, विश्लेषणात्मक सोच, अपने सहपाठियों से विचार विमर्श करने की क्षमता बढी है।’’ एमएसएल में विज्ञान मॉडल को कक्षा छह से लेकर 12 तक के विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम पर आधारित इसके 160 प्रकार के विज्ञान मॉडल विषय को समझने की अंतरदृष्टि उत्पन्न करते हैं।
भारत सरकार के पूर्व वैज्ञानिक कहते हैं कि विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति रुचि जगी है, जबकि शिक्षक मांग करते हैं कि अधिक से अधिक बार मोबाइल प्रयोगशाला उनके स्कूलों का दौरा करे ताकि विज्ञान शिक्षकों की जो कमी है वह दूर हो सके। वह कहते हैं कि इस अभियान से उनका मकसद बिहार में अधिक से अधिक बच्चों को वैज्ञानिक बनाना है। अभी संसाधनों के अभाव में विस्तार नहीं हो पा रहा है। एक मोबाइल प्रयोगशाला को तैयार करने में आठ से नौ लाख रुपए की लागत आती है।