चौपालियों के मन की बात : अब संवरेंगी चीलर नदी

राजा राठौर

Chilar Riverशाजापुर। शाजापुर जिला चंबल की जल निकासी क्षेत्र का एक हिस्सा है जो यमुना की प्रमुख नदी है। चंबल ही जिले की पश्चिमी सीमा से परे उत्तर की और बहती हैं। जिलें में बह सहायक नदियों में पार्वती, नेवज, कालीसिंध, लखुन्दर, टिल्लर, चीलर तथा छोटी काली सिंध नदीयां है जो किसी समय कलकल छलछल बहती हुई निकलती थीै। आधुनिकता के इस दौर में नदी नालों में तब्दील हो गई है। इस समय जिलें में जो नदीयां है जो इस प्रकार है-

पारवती- पारवती या पश्चिमी पार्वती सीहोर जिलें के सिद्धीगंज के पास विध्ंयाचल रेंज के उत्तरी ढलान से निकली है। यह उत्तर पूर्व की और बहती हैं और जिलें के पूर्वी भाग में एक संकीर्ण बेल्ट नालियों यह भी सीहोर के साथ पूर्वी सीमा, राजगढ, गुना और के जिलें में नरसिंहगढ नदी एक बडें आकार में पहंुच जाती है। पालीघाट पर 354 किलो ऑफ के एक कोर्स के बाद चंबल की सही बैंक में मिलती है।

नेवज – पार्वती की उपनदी नेवज सीहोर जिलें पष्चिमी सीमा के निकट ही निकलती है और उत्तर की और प्रवाह और षुजालपुर तहसील के प्रमुख हिस्सों में नालियों के पास जिला में प्रवेष करती है। 48 किलो मीटर के बारें में एक कोर्स के बाद जिलें में नदी के राजगढ जिलें में गुजरकर अंततः चंबल में मिलती है।

कालीसिंध- यह विंध्य पहाली से देवास जिलें में नदी में ही निकलती है जो बहती उत्तर,ष्षाजापुर तहसील भर से निकलकर राजगढ जिलें के सांरगपुर में प्रवेष करती है। लगभग नौ किलोमीटर के लिए बहने के बाद यह उत्तर पूर्वी राजगढ तक जाती है। जिलें के भीतर इसकी लंबाई 40 किलोमीटर है और उत्तर पूर्वी सीमा के साथ यह 56 किमी दूर है। यह नदी चंबल का एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है।

लखुन्दर – लखुन्दर देवास जिले में चांदगढ पहाडी से निकलती है यह दक्षिण-पष्चिम कोने के पास षाजापुर जिलें में प्रवेष करती है औरष्षाजापुर और सुसनेर तहसील के माध्यम से उज्जैन तथा आगर को आपस में जोडती है। इसकी लंबाई 72 किमी की है।
आव आव एक छोटी सी नदी है जो अवर आगर सहसील के पहाडी से बढती है। इसी के साथ छोटी कालीसिंध भी जो देवास में उत्तर-पष्चिम में बहती है ।
अब संवरेंगी चीलर नदी
चीलर के बारे में एक कवि ने लिखा है – मैं नदी हूं नदी, कल आज कल के प्रवाह की नदी, युग युगांतरों का अविरल विस्तार, में तुम्हारें पुरखों की तारती रही और तारूंगी तुम्हे भी, मैं मरी, तो तुम भी मरोगे, न बचा पाउंगी तुम्हे भी, कल भी नदी थी आज भी हूं में चीलर नदी।
किसी समय कलकल, छलछल बहती हुई नदी का नाम चीलर था। लेकिन आज यह नदी आपने दुर्भाग्य पर आंसू बहा रही है। प्राचीन नदी होने के कारण इस का महत्व और भी बढ जाता है। राजा महाराजाओं की रियासत के दौरान इस नदी के किनारों पर कुछ जनसहयोग से घाटोें का निमार्ण करवाया गया था। घाटो पर बचे पत्थर इनकी याद दिला देते है।

अक्सर कलकल बहती नदी की दुर्दषा बांधो के कारण होती होती है चीलर की भी दुर्दषा बांध बनने के बाद ही हुई है। लेकिन इसके मायने यह नहीं है कि बांध का निर्माण जरूरी नही था। बांध की वजह से ही षहर और और आसपास के गांवों में सम्पन्नता दिखाई दे रही है। लेकिन बांध बनने के बावजूद एंेसा नहीं है कि इस नदी को नाले बनने से नहीं बचाया जा सका वैसे बांध के मूाध्यम से लगभग 8500 एकड भूमि की सिंचाई होने लगी और षहरवासियों को पेयजल के संकट से छुटकारा मिल सका है।
भले ही चीलर नदी नाले में तब्दील हो चुकी है लेकिन फिर भी भीमघाट, महादेव घाट और नीकंठेष्वर महादेव मंदिर परिसर में नदी किनारे आज भी सुकून भरी छांह मौजूद होने से इस नदी का सम्पूर्ण परिक्षेत्र वीरान होने से बचा हुआ है।
कलकल बहती चीलर नदी की दुर्दषा को नवागत कलेक्टर राजीव षर्मा ने सुधारने का प्रयास किया है। नदी के वैभव को बचाने के लिए नगर पालिका प्रषासन, जिला प्रषासन तथा स्थानीय नागरिको से सहयोग लिया जा रहा है। लगभग 45 करोड रूपए की एक कार्य योजना बनाई गई है जिस पर कार्य प्रारंभ हो गया है। बरसात पूर्व किए गए कार्य की वजह से अब नदी में जल कंुभी कही भी दिखाई नहीं दे रही है। इस वर्ष क्षेत्र में अच्छी बारीष हुई है जिसके चलते नदी में पानी का भराव भी ज्यादा है। नदी में मिल रहे गंदे नालों की वजह से प्रदूषित हो रही चीलर को बचाने का प्रयास प्रारंभ हो गया है। नदी के दोनों और नालों को निर्माण कर ऐसी व्यवस्था की जा रही है जिससे नदीं को प्रदुषित होने से बचाया जा सकेगा।
राजेन्द्र राठौर राजा दैनिक जागण ब्यूरों ष्षाजापुर 94250 35010

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