स्लो सेंड फिल्टर
गंगा सहित देश की अन्य नदियों को मानव जनित प्रदूषण से बचाने की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है। इस दिशा में गुरुकुल कांगड़ी विवि व आईआईटी का एक संयुक्त शोध महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। दोनों शीर्ष संस्थानों के विज्ञानियों ने स्लो सेंड फिल्टर (एसएसएफ) नामक बहुत कम खर्चीली व अधिक कारगर तकनीक विकसित की है। विवि के कुलसचिव व पर्यावरण विज्ञानी प्रो. एके चोपड़ा के मुताबिक एसएसएफ तकनीक सीवेज के गहन ट्रीटमेंट के लिए तैयार की गयी है। वर्तमान में इस्तेमाल की जा रही तकनीक से निष्कासित पानी में बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया बड़ी संख्या में मौजूद रहते हैं। इनकी संख्या एक लाख के लगभग होती है, जबकि यह मात्रा 100 एमएल में 1,000 से अधिक नहीं होनी चाहिए। एसएसएफ से शोधित पानी बैक्टीरिया को मानकों के अनुरूप ही साफ करता है। इस पद्धति की खासियत यह है कि यह बहुत कम खर्च में तैयार होने के बावजूद पुरानी पद्धति से कहीं अधिक कारगर है। इसमें न तो बिजली की खपत करनी पड़ती है और न ही महंगे उपकरणों की, इसके लिए आसानी से उपलब्ध रेत का ही उपयोग किया जाता है तथा यह बिना तकनीकी दक्षता वाले लोगों द्वारा भी संचालित की जा सकती है।
गौरतलब है कि विस्तार लेती शहरी आबादी व बढ़ते औद्योगिकीकरण के चलते सिंचाई सहित अन्य कार्यो के लिए पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट की जरूरत भी बढ़ गई है, इसके लिये भारत में अपनाई जा रही प्रणाली महंगी होने के साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के अनुसार पानी का शोधन नहीं कर पा रही है। इस दिशा में पिछले कुछ वर्षों से गुरुकुल कांगड़ी विवि के कुलसचिव व पर्यावरण विज्ञानी प्रो. एके चोपड़ा तथा आईआईटी रुड़की के प्रो. एए काजमी शोध कर रहे थे।
साभार: इंडिया वाटर पोर्टल