पृथ्वी के ऊपरी वायुमड़ल में जीपीएस (ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम) उपग्रहों और लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले संचार उपकरणों के बीच सिग्नल बाधित हो सकते है, विशेष रूप से अधिक ऊंचाई पर। एक नए शोध में यह जानकारी सामने आई है। इस शोध के तहत प्रयोग किए गए। उदाहरण के लिए, उत्तरी ध्रुव के ऊपर उड़ रहा विमान जमीन से सशक्त संचार के जरिए जुड़ा रहता है। कैलिफोर्निया में नासा के जेट प्रणोदन प्रयोगशाला (जेपीएल) के एंथनी मैनुकी के मुताबिक, यदि इन सिग्नलों से विमान का संपर्क टूट गया तो उन्हें उड़ान का मार्ग बदलने की जरूरत पड़ेगी।
कनाडा में न्यू ब्रून्सविक विश्वविद्यालय के सहयोग में जेपीएल के अनुसंधानकर्ता आयनमंडल में अनियमितताओं पर शोध कर रहे है। यह आयनमंडल प्लाजमा नामक आवेशित कणों का एक आवरण है, जो भूतल से लगभग 350 किलोमीटर ऊपर है। रेड़ियो दूरबीन का भी आयनमंड़ल से संपर्क टूट सकता है। इन प्रभावों को समझने से खगोल विज्ञान के मापन को अधिक सटीक तरीके से समझा जा सकता है। प्रमुख शोध लेखक एसायस श्यूम ने कहा, हम पृथ्वी के निकट प्लाजमा का अन्वेषण करना चाहते है और यह पता लगाना चाहते है कि जीपीएस द्वारा प्रसारित नैविगेशन संकेतकों के हस्तक्षेप के लिए कितनी प्लाजमा अवरोधकों की जरूरत है।
प्लाजमा में अनियमितताओं के आकार से शोधकर्ताओं को इसके कारण के बारे में संकेत मिेलेगे, जिससे इनके कब और कहां घटित होने की संभावनाओं का पता लगाया जा सकता है। इस शोध को ‘जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स’ में प्रकाशित किया गया।