गणित के क्षेत्र में एक महान उपलब्धि उस समय हासिल हुई जब दुनिया भर में गणितज्ञों को करीब एक सौ साल से उलझाए रखने वाला महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का गणित का सिद्धांत सुलझा लिया गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे ब्लैक होल के व्यवहार जैसे जटिल प्रश्नों को हल किया जा सकता है। महज 32 साल की छोटी उम्र में दुनिया से कुच कर गए गणित के जीनियस रामानुजन 1920 में मृत्युशैया पर थे। इस दौरान उन्होंने अपने गुरू और ब्रिटिश गणितज्ञ जीएच हार्डी को एक पत्र लिख था। इस पत्र में भारतीय गणितज्ञ ने अनेक नए गणितीय फलन (फंक्शन) की रूपरेखा पेश की। इसे उससे पहले कभी सुना भी नहीं गया था। इस पत्र में रामानुजन ने इस पफलन के बारे में ये भी संकेत दिए थे कि वे कैसे काम करते हैं।
अखबार ‘डेली मेल’ की एक खबर के मुताबिक अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने साबित किया कि रामानुजन का फार्मूला बिल्कुल सही था। यह फार्मूला ‘ब्लैक होल’ के बर्तावों की भी व्याख्या कर सकता है। ब्लैक होल दिक् काल का एक क्षेत्र था, जहां से गुरुत्वाकर्षण प्रकाश समेत किसी भी चीज को निकलने नहीं देता। एमोरी विश्वविद्यालय के गणितज्ञ केन ओनो ने कहा- हमने रहस्यों से भरी उनकी आखिरी चिट्ठियों की समस्याएं हल कर ली है। गणित के इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए यह प्राब्लम 90 साल से खुला था।
ओनी ने कहा कि दक्षिण भारत के एक गांव में जन्मे रामानुजन घर पर खुद ही पढ़ कर गणितज्ञ बने। वह गणित इतना रमे हुए थे और इसके बारे में चिंतन-मनन करने में इतना समय लगाते थे कि कालेज में दो बार फेल हो गए थे। रामानुजन ने अपने पत्र में अनेक नए फंक्शन की चर्चा की थी जो ज्ञात ‘थीटा फंक्शन या प्रमापीय सूत्रों (माॅड्यूलर फाम्र्स) से भिन्न तरह से व्यवहार करते हैं। लेकिन उनकी बहुत निकट से नकल करते हैं। फंक्शन ऐसे समीकरण होते हैं, जिन्हें ‘साइन वेव’ के समान किसी कक्ष पर ग्राफ के रूप में उकेरा जा सकता है, जब किसी चुनिंदा ‘इनपुट’ या मूल्य के लिए गणन करने पर कोई ‘आउटपुट’ दे सकते हैं। रामानुजन ने अनुमान लगाया था कि उनका आभासी माॅड्यलर फार्म उन सामान्य माॅड्यलर फार्म के सदृश होता है, जिनकी पहचान कार्ल जैकोबी ने की थी और एक के मूल (रूट्स) के लिए दोनों का समाहार समान आउटपुट के साथ होता है।
ओनो ने कहा- हमने साबित किया कि रामानुजन सही थे। हमने पाया कि फाॅर्मूला उन दृष्टियों में से एक की व्याख्या करता है, जिनके बारे में वह समझते थे कि वह उनकी देवी से आई है। अनुसंधानकर्ता यह देख कर दंग रह गए कि तकरीबन एक सौ साल पुराना फार्मूला आज भी उपयोग किया जा सकता है। ओनी ने कहा- जब रामानुजन सबसे पहले अपने आभासी माॅड्यलर फाम्र्स लेकर आए तो 1920 दशक में कोई भी ब्लैक होल की चर्चा नहीं करता था। उसके बाद भी उनका फार्मूला उनके बारे में रहस्यों को बेपरदा कर सकता है। रामानुजन का निधन 26 अप्रैल 1920 को 32 साल की छोटी सी उम्र में हो गया था।
साभारः जनसत्ता