हर हाथ को देंगे काम।
हर खेत को देंगे पानी।।
दुल्हन बनकर फिर से सजेगी
अपनी-धरती रानी, अपनी धरती रानी
हो…….. हो…………. आ……….. आ……..
मिल जुलकर मेहनत करें ………..
मेहनत वो रंग लायेगी……………
सींचे पसीने से वो, माटी मोती उगायेगी
लाली चुनर ओढ़ के, धरती ये गुन -गुनायेगी
खेतों में फिर नाचेगी फसलों की नई जवानी
खेतों में फिर नाचेगी फसलों की नई जवानी
दुल्हन बनकर फिर से सजेगी,
अपनी धरती रानी, अपनी धरती रानी
हर हाथ को देंगे………….
हर खेत को देंगे पानी
हो…….. हो………….हों ओ………..
गांव का ये देश है, भारत बसा हे गांव में…………..
माटी की खुशबू घुली इस देश की हवाओं में………….
ये गांव क्यों न पले…………सुख की सुहानी छॉव में
खुशहाल बनेगा अब तो हर बस्ती का हर प्राणी
दुल्हन बनकर फिर से सजेगी,
अपनी धरती रानी, अपनी धरती रानी
हर हाथ को देंगे
हर खेत को देंगे पानी
हो………..हो……….हों ओ………
हर हाथ को दंेगे काम।
हर खेत को देंगे पानी।।
दुल्हन बनकर फिर से सजेगी
अपनी-धरती रानी, अपनी धरती रानी
हो…….. हो…………. आ……….. आ……..
मिल जुलकर मेहनत करें ………..
मेहनत वो रंग लायेगी……………
सींचे पसीने से वो, माटी मोती उगायेगी
लाली चुनर ओढ़ के, धरती ये गुन -गुनायेगी
खेतों में फिर नाचेगी फसलों की नई जवानी
खेतों में फिर नाचेगी फसलों की नई जवानी
दुल्हन बनकर फिर से सजेगी,
अपनी धरती रानी, अपनी धरती रानी
हर हाथ को देंगे………….
हर खेत को देंगे पानी
हो…….. हो………….हों ओ………..
गांव का ये देश है, भारत बसा हे गांव में…………..
माटी की खुशबू घुली इस देश की हवाओं में………….
ये गांव क्यों न पले…………सुख की सुहानी छॉव में
खुशहाल बनेगा अब तो हर बस्ती का हर प्राणी
दुल्हन बनकर फिर से सजेगी,
अपनी धरती रानी, अपनी धरती रानी
हर हाथ को देंंगे
हर खेत को देंगे पानी
हो………..हो……….हों ओ………