खाओ रे सांझे की चुरी,
पियो रे एकता का जाम।
होवे ना पंजपाणी बदनाम।।
ज्ञान कि नदिया ठाइे मारे, हमको पास बुलाती हैं
पानी जैसे घुल मिल जओ, हमको यही सिखाती है
भाई-चारा और तरक्की, सीखे हमसे कहे विज्ञान।
होवे ना………………….
कौन हैं हम और कहां से आए, बड़ी अजीब कहानी है
अग्नि, सूरज, चांद सितारो, का साक्षी ये पानी है
मेहनत की और कष्ट उठये, तब कहलाए इन्सान।
होवे ना……….
खुशी तरक्की और आजादी, के हमस ब भुखे हैं
एक दूजे के खून के प्यासे, फिर भी हम क्यों रहते हैं
हो न सकती ज्ञान बिना तो, इस मिट्टी की पहचान।
होवे ना……………..