“बचपन” हां सच मैं इस शब्द में बड़ा दम है, इसे सुनकर हर कोई कहीं ना कहीं एकबार अपनी यादों में गोता लगाकर पहुंच ही जाता है।अपने बचपन में, और बचपन के साथ ही याद आते हैं वो सारे खेल जो आज कहीं देखने को नहीं मिलते, घर घर में आज के बच्चेबस कंप्यूटर, मोबाइल और टीवी के सामने बैठे नजर आएंगे। कमजोर आंखें, थका हुआ शरीर, चिड़चिड़ापन और कोमल मन पर हिंसक दृश्यों की चोट, क्या ये बचपन है बिल्कुल भी नहीं। तो क्यों ना हम इस लॉकडाउन के समय में अपने बच्चों को उनका बचपन लौटाएं…… और खुद भी बच्चे बन जाएं।
अंकिता श्रीवास्तव*
सितौलिया
इस खेल को खेलने के लिए सात चपटे पत्थर और एक गेंद की जरुरत होती है. इसमें पत्थरों को एक के ऊपर एक जमाया जाता है. इस खेल में दो टीमें भाग लेती हैं. एक टीम का खिलाड़ी पहले गेंद से पत्थरों को गिराता है और फिर उसकी टीम के सदस्यों को सितोलिया बोलते हुए उसे फिर से जमाना पड़ता है. इस बीच दूसरी टीम के ख़िलाड़ी गेंद को पीछे से मारते हैं. यदि वह गेंद सितोलिया बोलने से पहले लग गयी तो टीम बाहर.
यह खेल मुख्यत: लड़कियां खेलती हैं. हालांकि लड़के भी इसका मजा लेने से नहीं चूकते. इसको खेलने के लिए घर के आंगन, मैदान या कहीं और कई चाक या फिर ईंट के टुकड़े से खाने बनाये जाते हैं. फिर पत्थर को एक टांग पर खड़े रहकर सरकाना पड़ता है, वो भी बिना लाइन को छुए हुए. अंत में एक टांग पर खड़े रहकर इसे एक हाथ से बिना लाइन को छुए उठाना पड़ता है.
इसे लड़कियां गोल-गोल छोटे-छोटे पत्थरों से खेलती हैं. दायें हाथ से गुटका उछाला जाता है और बायें हाथ को घर या कुत्ते के आकार में रखकर उनके नीचे से गुटके निकले जाते हैं. फिर सबको एक साथ एक हाथ से एक गुटका ऊपर उछालते हुए उठाना होता है. देखने में तो यह गेम बहुत आसान मालूम पड़ता है, पर असल में यह इतना आसान होता नहीं है. इसको खेलने में हाथों की अच्छी खासी कसरत हो जाती है. इस गेम का स्वरुप स्थानीय स्थानों के हिसाब से बदला भी नजर आता है.
कंचा एक परम्परागत खेल है. गांव की गलियों में इसे आज भी बच्चे आसानी से खेलते हुए मिल जाते हैं. इस खेल में, कुछ मार्बल्स की गोलियां बच्चों के पास होती हैं. इसमें एक गोली से दूसरी गोली को निशाना लगाना होता है और निशाना लग गया तो वह गोली आपकी हो जाती है. इसके अलावा एक गड्ढा बनाकर उसमें कुछ दूरी से कंचे फेंके जाते हैं. जिसके कंचे सबसे ज्यादा गिनती में गड्ढे में जाते हैं वह जीतता है.
इस खेल में दो लोग अपने सिर से ऊपर कर एक-दूसरे का हाथ पकड़कर खड़े होते हैं। साथ में वे एक गाना भी गाते हैं। बाकी सभी बच्चे उनके हाथों के नीचे से निकलते हैं। गाना खत्म होने पर दोनों अपने हाथ नीचे करते है और जो भी बच्चा उसमे फंसता है वह खेल से आउट हो जाता है।
चौपड़
इसमें सभी खिलाडियों को अपने विरोधी से पहले अपनी चारों गोटियों को बोर्ड के चारों और घुमाकर वापिस अपने स्थान पर लाना होता है। चारों गोटियां चौकरनी से शुरू होकर चौकरनी पर खत्म होती हैं।
लट्टू
इस खेल में, लकड़ी का एक गोला होता था, जिसके अंत में, एक लोहे की कील होती थी इसे कहा जाता था लट्टू. इसके चारों ओर एक सुतली को लपेटकर, उसे ज़मीन पर चलाना होता था. ये खेल कई तरह से खेला जाता था, जैसे दूसरे से तेज़ चलाना और दूसरे के लट्टू से, इसे चलाकर टक्कर लगवाना
विष-अमृत
ये खेल विदेशी खेल लॉक एंड की का भारतीय रूप है। खेल में एक खिलाड़ी के पास विष देने का अधिकार होता है। ये खिलाड़ी जिस भी खिलाड़ी को छू दे, वो अपनी जगह पर फ्रीज़ हो जाता है, जबतक कि उसके साथ खिलाड़ी आकर उसे छू ना दे, यानि अमृत ना दे दे। खेल तब ख़त्म होता है, जब सारे खिलाड़ी पकड़े जाते हैं, और उन्हें अमृत देने के लिए कोई खिलाड़ी नहीं बचता।
*लेखिका यूट्यूब चैनल संचालित करती हैं और ब्लॉगर हैं