श्री प्रेम शुक्ला
श्री प्रेम शुक्ला भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता हैं। वे शिवसेना से भाजपा में शामिल हुए हैं। वे अपनी बेबाक लेखनी के लिए जाने जाते हैं और लंबे समय तक पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं। वे शिवसेना के हिन्दी मुखपत्र दोपहर का सामना के कार्यकारी संपादक रहे हैं। उन्होंने इस पद से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा है। श्री प्रेम शुक्ला ने ‘निर्भय पथिक’ से अपने करियर की शुरूआत की थी। इसके बाद वे वर्ष 1993 में बतौर मुख्य संवाददाता दोपहर का सामना से जुड़े थे। उन्होंने 1998 में इसे छोड़ दिया। इसके बाद वे फिर 2005 में संपादक बनकर वापस आए। संजय निरूपम के छोड़ने के बाद उन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया था।
श्री विजयदत्त श्रीधर
श्री विजयदत्त श्रीधर पत्रकारिता के क्षेत्र में मध्यप्रदेश ही नहीं देश का जाना-पहचाना नाम है। उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में पदमश्री अवार्ड, भारतेंदु हरिशचंद्र अवार्ड, महर्षि वेद व्यास राष्ट्रीय सम्मान, माधवराव राष्ट्रीय रचनात्मक सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। श्री विजयदत्त श्रीधर का जन्म मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के बोहानी में वर्ष 1948 को हुआ। उन्होंने अपने छात्र जीवन से ही समाचार पत्रों में लेखन कार्य शुरू कर दिया था। इसके बाद वे पूर्णरूप से वर्ष 1974 में पत्रकारिता में आ गए। उन्होंने अपनी पत्रकारिता की शुरूआत देशबंधु जबलपुर से की। इसके बाद भोपाल देशबंधु में आ गए। श्री विजयदत्त श्रीधर देशबंधु से नवभारत में आए। वे लगभग पांच वर्षों तक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में डायरेक्टर रिसर्च भी रहे हैं। वर्तमान में श्री श्रीधर सप्रे संग्रहालय के संस्थापक के रूप में वहां की जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। सप्रे संग्रहालय में ऐसी दुर्लभ पांडुलिपियां, दुर्लभ पत्र-पत्रिकाओं का संकलन है, जो आज के समय में ओर कहीं मिलना संभव नहीं। उन्होंने पत्रकारिता से जुड़ी हुई कई पुस्तकों का लेखन भी किया है। इनमें भारतीय पत्रकारिता कोर्स, पहली संपादकीय सहित कई अन्य प्रमुख पुस्तकें हैं।
श्री मनोज कुमार श्रीवास्तव
श्री मनोज कुमार श्रीवास्तव मध्यप्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं। वे वर्तमान में संस्कृति, वाणिज्यिक कर, धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग के प्रमुख सचिव एवं भारत भवन के न्यासी सदस्य हैं। उनका जन्म 7 अप्रैल 1961 को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुआ। वे वर्ष 1987 में अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा में आ गए। उन्होंने हिन्दी विषय से एमए किया। श्री मनोज कुमार श्रीवास्तव की लेखन कार्यों में गहरी दिलचस्पी है। वे कई पुस्तकों का लेखन भी कर चुके हैं। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संचालित लाडली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना सहित कई अन्य योजनाएं उनके दिमाग की ही उपज है। इन योजनाओं से मध्यप्रदेश सरकार की जमकर वाहवाही हुई है। इतना ही नहीं ये योजनाएं कई अन्य राज्यों ने भी शुरू की है। श्री मनोज श्रीवास्तव अब तक एसडीओ, अतिरिक्त कलेक्टर, प्रशासक, कलेक्टर इंदौर, आईजी पंजीयन एवं मुद्रांक, चेयरमैन, प्रबंध निदेशक, विद्युत वितरण कंपनी पूर्वी क्षेत्र मध्यप्रदेश, आयुक्त भू-अभिलेख, आयुक्त आबकारी, सदस्य राजस्व मंडल, सचिव संस्कृति, न्यासी सचिव भारत भवन, आयुक्त एवं सचिव जनसंपर्क, आयुक्त भोपाल एवं नर्मदापुरम संभाग, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री सहित कई पदों पर पदस्थ रह चुके हैं। अब तक वे ‘मेरी डायरी से’, ‘यादों के संदर्भ’, ‘पशुपति’ जैसे पांच कविता संग्रह, ‘शिक्षा में सन्दर्भ और मूल्य’, ‘वंदेमातरम, ‘सुन्दरकांड (पांच खंड)’ जैसी विवेचनात्मक एवं व्याख्यात्मक, सात कृतियां जैसी पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। ‘अक्षरम’ के लिए श्री मनोज श्रीवास्तव को अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव 2012 में ‘अक्षरम् संस्कृति सम्मान’ से अलंकृत किया गया है।
श्रीमती गौरी सिंह
श्रीमती गौरी सिंह अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी हैं। उनका जन्म 18 नवंबर 1963 को राजस्थान में हुआ। वे वर्ष 1987 में अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा में आ गईं। श्रीमती गौरी सिंह ने बीए आनर्स करने के बाद एमबीए की डिग्री ली। वर्तमान में वे प्रमुख सचिव स्वास्थ्य परिवार एवं कल्याण और चिकित्सा शिक्षा विभाग के पद पर पदस्थ हैं। इससे पहले वे मध्यप्रदेश उर्जा विकास निगम में प्रबंध संचालक, ओएसडी सह आयुक्त नवीन एवं नवकरणीय उर्जा सहित कई अहम पदों पर पदस्थ रही हैं। श्रीमती गौरी सिंह आईएएस एसोसिएशन की अध्यक्ष भी हैं।



डाॅ. राकेश पाठक
डाॅ. राकेश पाठक कर्मवीर के प्रधान संपादक हैं। भिंड जिले के गोरमी में वर्ष 1964 को जन्में श्री पाठक ने सैन्य विज्ञान और इतिहास विषय में एमए किया। उन्होंने सैन्य विज्ञान में पीएचडी भी की। डाॅ. राकेश पाठक अब तक नईदुनिया, नवभारत, नवप्रभात, प्रदेश टुडे सहित कई अन्य समाचार पत्रों के संपादक रहे हैं। वे वेब पत्रकारिता के प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल डेटलाइन इंडिया के प्रधान संपादक भी रहे हैं। डाॅ. पाठक पत्रकारिता और साहित्य संबंधी अनेक विदेश यात्राएं भी कर चुके हैं। इसमें राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल की लाओस, कंबोडिया यात्रा, न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन, कोसोवो (पूर्व यूगोस्लाविया) में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन की रिपोर्टिंग सहित कई अन्य यात्राएं हैं। इसके अलावा चंबल की दस्यु समस्या पर विशेष अध्ययन एवं लेखन भी किया। उन्होंने कई इनामी डकैतों के आत्मसमर्पण में भी प्रेरक की भूमिका निभाई। डाॅ. राकेश पाठक पत्रकार के साथ-साथ संवेदनशील कवि और लेखक भी हैं। उनकी अब तक तीन पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है। उनका यात्रा वृतांत काली चिड़ियों के देश में और कविता संग्रह बसंत के पहले दिन से पहले चर्चित रहे हैं। कविता संग्रह बसंत के पहले दिन से पहले पर राष्ट्रीय स्तर का हेमंत स्मृति कविता सम्मान भी मिला है। डाॅ. पाठक ने एक फिल्म की कथा, पटकथा और संवाद भी लिखे हैं, जिसकी घोषणा शीघ्र ही होने वाली है। वे ग्वालियर जिला बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्यक्ष और मध्यप्रदेश स्टेट बैडमिंटन एसोसिएशन के उपाध्यक्ष हैं। डाॅ. पाठक सिंधिया हाॅकी अकादमी के अध्यक्ष भी हैं।
श्री गिरीश उपाध्याय
श्री गिरीष उपाध्याय हिन्दी पत्रकारिता का जाना-पहचाना नाम है। वे विगत 37 वर्षों से हिन्दी पत्रकारिता में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं। उन्होंने 1980 से पत्रकारिता की शुरूआत की थी। वर्तमान में वे भोपाल के दैनिक सुबह सवेरे में स्टेट एडिटर के रूप में कार्यरत हैं। इससे पहले वर्ष 1981 में दैनिक स्वदेष इंदौर में उपसंपादक, 1981 से 1983 तक भोपाल में सह संपादक, समाचार एजेंसी यूएनआई की हिन्दी सेवा यूनीवार्ता में जनवरी 1983 से नवंबर 2001 तक विशेष संवाददाता, ग्वालियर और इंदौर के ब्यूरो चीफ, जयपुर में राजस्थादन के स्टेट चीफ सहित कई अन्य पदों पर रहे। दिसंबर 2001 से मई 2003 तक ईटीवी मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के न्यूज को-ऑडिनेटर। जून 2003 से नवंबर 2005 तक अमर उजाला के चंडीगढ़ संस्करण में पंजाब, हरियाणा तथा चंडीगढ़ स्टेट ब्यूरो चीफ, दिसंबर 2005 से फरवरी 2008 तक जयपुर में राजस्थान पत्रिका समूह में डिप्टी् एडिटर, अप्रैल 2008 से मई 2013 तक नवदुनिया भोपाल में स्थानीय संपादक रहे। पत्रकारिता के अलावा माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में स्वामी विवेकानंद पीठ के रिसर्च फैलो रहे हैं। स्वामी विवेकानंद के संचार पर पुस्तक लेखन भी किया। उनका जन्म 24 सितम्बर 1958 को इंदौर में हुआ। उन्होंने हिन्दी साहित्य से एमए किया। वे विक्रम विष्वविद्यालय की प्रावीण्य सूची में द्वितीय स्थान पर रहे। श्री गिरीष उपाध्याय मालवा के लब्धप्रतिष्ठित साहित्यकार और हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्रिका वीणा के संपादक स्व. मोहनलाल उपाध्याय ‘निर्मोही’ के पुत्र हैं। उन्होंने मीडिया विशेषज्ञ के रूप में देश के विभिन्न शहरों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के कार्यक्रमों में भागीदारी की एवं व्याख्यान दिए। विभिन्न पत्रिकाओं में मीडिया संबंधी आलेखों का प्रकाशन भी हुआ। टीवी चैनल्स पर मीडिया एक्सपर्ट और राजनीतिक विश्लेषक के रूप में विशिष्ट पहचान बनाई। उनकी सामाजिक सरोकार एवं विकास की सकारात्मक पत्रकारिता में विशेष रुचि है। पत्रकारिता के क्षेत्र में श्री गिरीष उपाध्याय को अब तक लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड 2009, माधवराव सप्रे संग्रहालय भोपाल द्वारा माखनलाल चतुर्वेदी सम्मान 2010, राष्ट्रीय पत्रकार न्यास द्वारा बापूराव लेले सम्मान 2011, राज्य स्तरीय श्रेष्ठ पत्रकारिता सम्मान 2011, बेस्ट एडिटर सम्मान, भोपाल जनवरी 2012, विचित्र कुमार सिन्हा पत्रकारिता सम्माान 2016 सहित कई अन्य पुरस्कार मिल चुके हैं। श्री उपाध्याय ने पत्रकार प्रतिनिधि मंडल के साथ चीन, जापान, मलेशिया और हांगकांग की यात्रा भी की है। वे इंडियन मीडिया सेंटर के मध्यप्रदेश चैप्टर के अध्यक्ष, हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार विश्वमविद्यालय जयपुर के अनुसंधान बोर्ड के सदस्य एवं विकास संवाद फैलोशिप जूरी के सदस्य भी हैं।