संचारकों के लिए तार्किक एवं सार्थक विमर्श का मंच बना मीडिया महोत्सव

रामांशी मिश्र लखनऊ से
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ ही पत्रकारों की सुरक्षा पर भी बात की। मीडिया महोत्सव के मंच से ही उन्होंने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की घोषणा की। इस दो दिवसीय आयोजन में देश, मीडिया एवं समाज के समक्ष उपस्थित तमाम चुनौतियों और उनके संभावित समाधानों पर हुई चर्चा ।
भोपाल में 31 मार्च से 1 अप्रैल के बीच आयोजित दो दिवसीय ‘मीडिया महोत्सव’ में देश भर के जाने-माने पत्रकारों, बुद्धिजीवियों, ब्लॉगरों, लेखकों और संचार शोधकों का जमावड़ा रहा। इस दौरान कई सत्रों के दौरान कई अहम मसलों पर चर्चा हुई और तमाम नामचीन लोगों ने अपने विचार प्रतिभागियों के समक्ष रखे। यूं तो महोत्सव का विषय देश की आंतरिक्ष सुरक्षा पर केंद्रित था, लेकिन इस बौद्धिक समागम में कई धाराओं के संगम से तमाम नए और अलहदा विचार भी सामने आए।
‘भारत की सुरक्षाः मीडिया, विज्ञान एवं तकनीक की भूमिका’ विषय पर आयोजित इस विचार महाकुंभ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी इंद्रेश कुमार, मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री अर्चना चिटणीस, देश के प्रख्यात चिंतक केएन गोविंदाचार्य, कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला जैसी राजनीतिक एवं सार्वजनिक जीवन की शख्सियतों के अलावा इंडिया टुडे के वरिष्ठ पत्रकार उदय माहूरकर, पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर, जनसत्ता के संपादक मुकेश भारद्वाज, कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन के अनिल पांडे, लोकसभा टीवी के प्रस्तोता अनुराग पुनेठा, वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी, डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी, नवभारत टाइम्स ऑनलाइन के संपादक प्रभाष कुमार झा, बिजनेस स्टैंडर्ड के ऋषभ कृष्ण सक्सेना, एनसीडीईएक्स के भुवन भास्कर, लोकसभा टीवी के सिद्धार्थ झा, दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर स्वदेश सिंह और दैनिक जागरण के प्रणव सिरोही के अलावा पत्रकारिता एवं अकादमिक जगत की तमाम हस्तियों ने शिरकत की।
समारोह के पहले दिन उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के संरक्षक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी इंद्रेश कुमार ने भारत की सुरक्षा और मीडिया के उत्तरदायित्व पर अपना पक्ष रखा। राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर मीडिया के दोफाड़ होने पर उन्होंने चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि देश में पत्रकारों का एक बड़ा धड़ा है जो  राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता और सैन्य बलों के हितों को समझता है, लेकिन पत्रकारों का एक वर्ग ऐसा भी है जो नक्सलियों को लेकर नरम रवैया अपनाता है और सैन्य बलों को भी मानवाधिकारों की आड़ में आड़े हाथों लेता है। उन्होंने इस दूसरे वर्ग के रवैये पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के चलते भले ही देश की हालत खराब हुई हो, लेकिन आज हमारी सभ्यता और संस्कृति पूरी दुनिया को दिशा दिखा रही है जिस पर हम सभी भारतीयों को गर्व करना चाहिए। उन्होंने प्रतिभागियों को नए भारत के निर्माण हेतु आओ मिलकर बनाएं नया भारत का संकल्प भी दिलाया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ ही पत्रकारों की सुरक्षा पर भी बात की। मीडिया महोत्सव के मंच से ही उन्होंने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की घोषणा की। हाल के दौर में पत्रकारों पर बढ़ते हमलों को देखते हुए यह सराहनीय पहल है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के इस एलान पर सभागार में बैठे पत्रकारों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत भी किया गया। भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने मीडिया महोत्सव में कहा कि मीडिया से निष्पक्षता और वस्तुनिष्ठता की अपेक्षा की जाती है, लेकिन यहां तमाम पत्रकार पूर्वाग्रह से ग्रसित है जिस स्थिति को बदलने की दरकार है ताकि जनता तक सूचनाएं सही रूप में पहुंचें। वरिष्ठ पत्रकार उदय माहूरकर ने वीर सावरकर के योगदान पर बहुत ही तार्किक तरीके से अपनी बात रखी। बदलती तकनीक और इंटरनेट के बढ़ते दखल के दौर में उपजी नई चुनौतियों से निपटने के लिए सुरक्षा में तकनीक और आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस यानी एआई पर भी महोत्सव के दौरान मंथन हुआ। सुरक्षा को लेकर मीडिया की भूमिका, जातीय मज़हबी संघर्ष और राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियां, राजनीतिक दलों और मीडिया का रवैया, महिला और बच्चों की सुरक्षा में मीडिया की भूमिका आदि को लेकर भी सार्थक विचार-विमर्श हुआ।
समापन सत्र में मध्य प्रदेश की राज्यपाल आंनदीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संचार माध्यमों के साथ-साथ संचारकों के भी व्यक्तिगत सशक्तीकरण की आवश्यकता है। जिससे वह समाज को सकारात्मक सोच और राष्ट्रीय सुरक्षा की ऊर्जा से ओतप्रोत समाचार दे सके। वहीं केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि समाज, सरहद और संस्कृति से मिलकर ही राष्ट्र निर्माण होता है और इन तीनों में ही बाजारवाद की सेंधमारी हो रही है जिस पर हमें समय रहते विचार करना होगा। इस प्रकार मीडिया महोत्सव के सफल आयोजन का समापन हुआ और सभी प्रतिभागियों ने इसके अगले पड़ाव के आयोजन को लेकर सुझाव देने के साथ ही उसमें सहभागिता की प्रतिबद्धता जताई।

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2 comments

  1. पद्मेश गौतम

    यथार्थ लेख।

  2. VIVEK SINGH CHAUHAN

    Nicely and minutely observed

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